जो खुद पेट भर खाए और उसका पड़ोसी भूखा सोए वो मुसलमान नहीं
जिस से उसके पड़ोसी कॉलोनी वाले परेशान हो वो मुसलमान नहीं
आज जुम्मे की नमाज के बाद इस्लामिक स्कॉलर मोहम्मद असलम सिद्दीकी ने बताया
शेखर खान शहडोल
हमारे समाज में जिस तरह लोग एक दूसरे से दूरियां बना रहे हैं इससे ये मालूम होता है कि दुनिया बहुत दिन की नहीं बची है क्यूंकि जहां समाज में एक तरफ अपने सगे रिश्तों को भी दरकिनार कर रहीं है वही मुस्लिम समुदाय के नबी मोहम्मद (स.अ.व.) ने 1400 साल पहले बताया कि वो हममें से नहीं जो खुद पेट भर खाए और उसका पड़ोसी भूखा रहे इस्लाम में पड़ोसियों देशवासियों के प्रति मोहब्बत और ईमानदारी ईमान का हिस्सा है अल्लाह के रसूल मोहम्मद (स.अ.व.) ने अल्लाह के आदेश को दुनिया में पहुंचाते हुए ये भी बताया कि वो इंसान स्वर्ग में नहीं जाएगा जिससे उसका पड़ोसी परेशान हो अल्लाह के नजदीक अच्छा इंसान वो है जो अपने पड़ोसी के लिए अच्छा हो इस्लाम में पड़ोसी के लिए कहा गया है आपका पड़ोसी चाहे गैर मुस्लिम ही क्यूँ न हो आपका हक है आप उसके सुख दुख में साथ खड़े रहे बीच बीच में अपने पड़ोसी का निमंत्रण करे उसके साथ खाए और उसे भी खिलाए अपने पड़ोसी को अपने घर जैसा समझे अपने रिश्तेदारों को इज्जत और मोहब्बत दे उनकी तकलीफों में उनका साथ दे अपनी खुशियो में उन्हें अपने घर बुलाए इस्लाम में नबी के द्वारा अल्लाह का आदेश बताया गया है कि जो चीज अपने लिए पसंद करें वही अपने भाई के लिए भी पसंद करे अगर आपके घर कोई भी अच्छी चीज (डिश)बना हो और आपका पड़ोसी गरीब हो तो आप पर फर्ज है कि आप उसे उसमे हिस्सा दे अगर ये न हो सके तो आप उसमे सालन ज्यादा बनाये और उसे अपने पड़ोसी को दे अल्लाह के रसूल ने फरमाया की अल्लाह ने जिब्रिल को इतनी ताकीद की पड़ोसी का हक समझाने के लिए भेजा कि मुझे लगा कि अल्लाह उन्हें वारिसों में शामिल न कर दे इस्लाम में पड़ोसियों का बहुत बड़ा महत्व है पर आज अफसोस इस बात पर है कि मुस्लमान पड़ोसी का हक अदा करने की बजाय अपने सगो का हक देने में कतराता है और जहां इस्लाम में गैरों से अच्छे व्यावहार का आदेश दिया गया है वही आज मुस्लमान पहले अपने अपनों से लड़ रहा है और एक दूसरे का दुश्मन बन बैठा है अल्लाह के नबी ने बताया कि आपका भाई आपका बाजू है उसको सम्भाल कर रखे और बहनों के लिए बताया कि जब तुम पर बुरा समय या कोई परेशानी आए तो अपनी बहनों की दावत किया करो इससे तुम्हारी परेशानी दूर होगी पर आज मुस्लमान जरा सा पैसा और पावर आने के बाद सबसे पहले इनसे ही रिश्ता तोड़ता है यहां तक कि शादी और खुशी के मौके पर भी उन्हें न बुलाना अपनी इज्जत समझता है इस्लाम की किताब कुरान मे लिखा है कि आप जिस देश में रहो उसके प्रति वफादार रहो ये तुम्हारे ईमान का हिस्सा है मुसलमानों से गुजारिश है कि अपने पड़ोसी रिश्तेदारों और देशवासियों की इज्जत करे उनसे अच्छा व्यवहार करे और अपने ईमान को मजबूत करें

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