15 अगस्त सिर्फ एक तारीख नहीं, यह हमारी पहचान, हमारे बलिदान और हमारे संघर्ष का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि यह आज़ादी हमें यूँ ही नहीं मिली
युवा समाजसेवी और अधिवक्ता सुषमा यादव
शेखर खान "पत्रकार" शहडोल
लाखों वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी, अपनी जवानी देश के नाम कुर्बान कर दी।
किसी ने फाँसी के फंदे को चूमा, किसी ने गोलियों की बौछार को अपने सीने पर रोका, और किसी ने अपने घर, परिवार और सुख-शांति को छोड़कर मातृभूमि के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया
आज हमारा कर्तव्य है कि हम इस आज़ादी की रक्षा करें
आज़ादी का मतलब सिर्फ खुली हवा में साँस लेना नहीं है, बल्कि उस मिट्टी, उस संस्कृति, और उस मान-सम्मान की रक्षा करना है, जिसके लिए हमारे वीरों ने बलिदान दिया।
अगर हमें सच में स्वतंत्रता का सम्मान करना है, तो हमें जाति-धर्म, ऊँच-नीच और छोटे-बड़े के भेदभाव से ऊपर उठना होगा।
हमें एक होकर, एक परिवार की तरह, इस देश को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाना होगा।
मेरे नौजवान साथियों, देश का भविष्य आपके कंधों पर है।
आपकी कलम, आपकी मेहनत, आपका हुनर, और आपका साहस ही भारत को फिर से "विश्वगुरु" बनाएगा।
याद रखिए, तिरंगे की शान तभी बनी रहेगी जब हम सब मिलकर मेहनत करेंगे, सच्चाई पर चलेंगे और अपने देश को आगे बढ़ाएँगे।
आज, इस पावन अवसर पर, हम सब मिलकर यह संकल्प लें —
हम भारत की एकता, अखंडता और समृद्धि के लिए हमेशा समर्पित रहेंगे।
हम न तो भ्रष्टाचार को बढ़ने देंगे, न अपराध को पनपने देंगे।
हम हर मुश्किल घड़ी में अपने देश और अपने भाइयों-बहनों के साथ खड़े रहेंगे।
जय जवान! जय किसान!

0 Comments